25/09/17 ''मीठे ब चे नः-

उ र:गीत:-

ात:मरु ल ान सागर बाप से तम ु ब च को जो अ वनाशी

ओम ् शाि त

"बापदादा"'

ान र न मलते ह, उन

माला म न बर आगे वा पीछे होने का मु य कारण या है ?

मधब ु न

ान र न का दान करने क रे स करनी है ''

ीमत क पालना। जो ीमत को अ छ तरह पालन करते वह न बर आगे आ जाते ह और जो आज अ छ पालना करते, कल दे ह-अ भमान वश ीमत म मनमत म स कर दे ते वह न बर पीछे चले जाते। कायदे अनस ु ार ीमत पर चलने वाले ब चे पीछे आते भी आगे न बर ले सकते ह। रात के राह .....

ओम ् शाि त। बापदादा दोन कहते ह ओम ् शाि त। दोन का वधम शा त है । हम ब च के अ दर से भी नकलना चा हए ओम ् अथात ् अहम ् आ मा का वधम है शा त। अभी हम जाते ह शाि तधाम म। पहले-पहले हमको बाबा शाि तधाम म ले जायगे। पहले-पहले कौन जायगे? िजतना जो याद म रहगे, वह जैसे क दौड़ी पहनते ह। अभी तम ु आ म-अ भमानी बनते हो। उसम बहुत मेहनत लगती है । आधाक प से तम ु को रावण ने दे ह-अ भमानी बनाया है । अभी बेहद का बाप परम पता परमा मा हमको दे ह -अ भमानी बना रहे ह और अपने घर का रा ता बता रहे ह। जो घर का मा लक है , वह बता रहे ह। दस ू रा कोई भी मनु य रा ता बता न सके। कायदा नह ं है । एक ह बाप आकर बतलाते ह, उनका नाम है द:ु ख हता, द:ु ख से लबरे ट करने वाला। िजसक म हमा भी भि त माग म गाते आते ह। ऐसे नह ं सतयग ु म आ मा ऐसे कहती है क हमको बाप ने द:ु ख से छुड़ा करके सख ु धाम म भेजा है , नह ं। यह ान अभी तम को म समझाता ह । यह ान का पाट अभी ह चलता है । फर यह पाट ह प र ा हो जाता है । फर ाल ध शु हो ँ ु ू ू जाती है । प तत से पावन बनाने का पाट एक ह बाप का है , जो क प-क प पाट बजाते ह। तम ु जानते हो हम आधाक प पावन थे। फर रावण रा य म आकर नीचे उतरते आते ह। कला कमती होती जाती है । भारत म ह दे वताय 16 कला स पण ू , सवगण ु स प न थे। फर उ ह को पन ज म ले त े ले त े नीचे ज र आना है । कला कमती होनी ह है । पर त यह वहाँ माल म नह ं रहता है । यह सारा ु ु ू ान अभी तु हार बु ध म है । पावन दे वी-दे वताय प तत कैसे बनते ह, आओ तो 84 ज म क कथा सन ु ाय। 84 के च क यह स य कथा है । वह तो झठ ू कथा सन ु ाते ह। च क आयु ल बी चौड़ी बता दे ते ह। यह 84 के च क कथा सन ु ने से तम ु च वत राजा रानी पद पाते हो। यह गु य बात स यासी आ द नह ं जानते। उनका धम ह अलग है । पहले माँ बाप पास ज म लेते ह तो मि दर आ द म जाकर पज ू ा करते ह। फर जब वैरा य आता है तो घरबार छोड़ चले जाते ह। बाप कहते ह पू य सो पज ु ार भी तु हारे लए ह है । गाया भी जाता है मा के मख से ा मण नकले तो ज र एडा ट ह ए ह गे । यह बाबा भी पहले प तत था फर पावन बनते ह। ु ु तम ा मण बन फर पावन दे वी-दे वता बनने के लए पु षाथ करते हो। ल मी-नारायण के रा य को वग कहा जाता है । वहाँ है ह ु अ वैत धम, अ वैत दे वता, तो ताल बज नह ं सकती। वहाँ माया ह नह ं। इस दे वी-दे वता धम क म हमा गाई जाती है , सवगण ु स प न...... जब तम कहाँ ल मी-नारायण क े मि दर म जाते हो तो बोलो यह स य नारायण है ना। इनको स य य कहते ह? ु य क आजकल तो झठ ू बहुत है । बहुत के नाम ल मी-नारायण, राधे-कृ ण आ द ह। कोई-कोई के तो डबल नाम भी है । म ास के तरफ बहुत अ छे -अ छे नाम बहुत के ह। भगत व सलम ् आ द..... अब वह तो भगवान ह होगा। मनु य कैसे हो सकते ह। अभी तम ु ब च क बु ध म है - आ माओं का परम पता परमा मा सामने बैठा है । बाबा क तरफ तम ु दे खते रहगे तो समझगे प तत-पावन मो ट बलवेड बाबा है । आ मा कहती है नराकार बाबा हम आ माओं से बात कर रहे ह, नराकार परम पता परमा मा आकर आ माओं को पढ़ाते ह। यह कोई शा म नह ं है । समझो कोई कहते ह कृ ण के तन म परम पता परमा मा वेश करते ह। पर तु कृ ण का तो वह प सतयग ु म था। उस नाम प म तो कृ ण आ न सके। कृ ण का तम ु च दे खते हो, वह भी ए यरू े ट नह ं है । ब चे द य ि ट म दे खते ह, उसका तो फोटो नकाल न सके। बाक यह मशहूर है - ीकृ ण गोरा सतयग स था, ु का पहला जो फर व व के महाराजा महारानी बनते ह। ल मी-नारायण से ह रा य शु होता है । राजाई से संवत शु होता है ना। सतयग ु का पहला संवत है वकमाजीत संवत। भल पहले जब कृ ण ज मता है , उस समय भी कोई न कोई थोड़े बहुत रहते ह, िजनको वा पस जाना है । प तत से पावन बनने का यह संगमयग ु है ना। जब परू ा पावन बन जाते ह तो फर ल मी-नारायण का रा य, नया संवत शु हो जाता है , िजनको व णप ु रु कहते ह। व णु के दो प ल मी-नारायण से पालना होती है । अभी तम ु वह बनने का पु षाथ करते हो। तम ु कहगे हम 5 हजार वष बाद पु षाथ करते ह बाप से वसा लेने। पु षाथ अ छ र त करना है । ट चर को मालम ू तो रहता है ना क टूडे ट कहाँ तक पास ह गे। तम ब चे भी जानते हो क हमार एकरस अव था कहाँ तक बनती जाती है ? कहाँ तक ु हम बाप से अ वनाशी ान र न का दान ले और फर दान दे ते रहते ह? यह अ वनाशी ान र न का दान और कोई भी नह ं कर सकता है । ान सागर बाप से यह तम ु को ान र न मलते ह। वह िज मानी ह रे मोती नह ं ह। तो तम ु ब च को फर अ वनाशी ान र न का दानी भी बनना है । अपने को दे खना चा हए हम कतना दान करते ह? म मा-बाबा कतना दान करते ह। हमारे म जो अ छे ते अ छ बहन ह, कतना अ छा दान करती ह! रे स चल रह है ना। फाइनल पास तो हुए भी नह ं ह। कहगे ेजे ट समय यह-यह तीखे ह। आगे जो माला बनाते थे और अभी जो माला बनाय तो बहुत फ़क पड़ जाये। 4-5 न बर वाले दाने जो थे वह भी मर गये। कई िजनको आगे न बर म रखते थे वह अब नीचे न बर म पहुँच गये ह। नये-नये ऊपर आ गये ह। बाबा तो सब जानते ह ना इस लए कहा जाता है गड़ ु जाने गड़ ु क गोथर जाने। बाबा बतलाते भी रहते ह। आगे तु हार अव था अ छ थी, अब न बर नीचे चला गया है य क कायदे अनस ार ीमत पर नह ं चलते हो। अपनी मत पर चलते हो। कोई भी पछ ु ू सकते ह क बाबा इस समय अगर हमारा शर र छूट जाए तो या ग त को पायगे? गीता म कुछ यह अ र ह। आटे म नमक मसल है ना। सब पक ु ारते रहते ह बाबा हमको रावण रा य से छुड़ाओ, द:ु ख हरो। स चा-स चा ह र वार यह हुआ ना। द:ु ख हता, परम पता परमा मा को ह हर कहा

जाता है , न क ीकृ ण को। परम पता परमा मा ह द:ु ख हता, सख ु कता है । तम ु सख ु धाम के मा लक बनते हो ना। योगबल से तम ु व व के मा लक बनते हो। उ ह का है बाहुबल, शार रक बल, जो बु ध से बा स नकाले ह। यहाँ सेना आ द क तो कोई बात नह ं। द ु नया म यह कसको पता ह नह ं क योगबल से कैसे व व क बादशाह मलती है । बाप ह आकर यह योग सखलाते ह। बाप कहते ह मामेकम ् याद करो। म ान सागर हूँ। म हमा गाते ह ना - ान का सागर, सख ु का सागर, प व ता का सागर, ऐसे कभी नह ं कहगे - योग का सागर। नह ं, योग का सागर कहना रांग हो जाए। बाप ान का सागर, प तत-पावन है । ज र ान क ह वषा करते ह गे। पहल बात बाप कहते ह - मामेकम ् याद करो और कसको भी याद करना अ ान है । सिृ ट के आ द-म य-अ त का ान बाप ह सन ु ाते ह। योग के लए भी श ा दे ते ह। और सब योग के लए उ ट श ा दगे। उनको िज मानी योग कहा जाता है , शर र को ठ क रखने के लए। यह है हानी योग। यह राजयोग क बात कहाँ भी है नह ं। सवाए बाप के और कोई राजयोग सखला न सके। जानते ह नह ं। तम ु यह राजयोग सीखते-सीखते चले जायगे, जाकर रा य करगे। राजयोग के कोई च थोड़ेह ह। तम ु यह बनाते हो समझाने के लए। सो भी कोई दे खने से तो समझ न सक। समझाना पड़े - यह मा राजयोग सीखकर जाए नारायण बनते ह। यह बाजू म च ह। यह सब बात धारण करना बु ध क बात है । इसम ट चर या करगे? ट चर बु ध को कुछ कर नह ं सकते। कोई कहते हमार बु ध को खोलो। बाबा या करे ? तम ु याद करते रहो और परू ा पढ़ो तो बु ध परू ा खल ु ेगी। ब च को परू ा सखलाया जाता है । बाबा कहो, म मा कहो तो ज र कहे गा तब तो सीखेगा ना। बगर कहे सीखेगा कैसे? इस लए ब च का मख ु खल ु वाया जाता है । मेहनत करनी है । बाप का प रचय दे ना है । वह है ऊंचे ते ऊंचा भगवान, सबका रच यता। उनसे सबको वग का वसा मलता है । फर रावण रा य म वसा गंवाते-गंवाते नक बन जाता है । दे वताय पावन थे, फर प तत बने। फर प तत-पावन बाप आया है , कहते ह मझ ु े याद करो तो वकम वनाश ह गे और कोई उपाय है नह ं। योग अि न से ह वकार पी खाद नकलेगी। याद करते-करते तम ु पावन बन गले का हार बन जायगे। घड़ी-घड़ी बोलने क िै टस करो सफ कहना थोड़ेह है - बाबा मख ु खल ु ता नह ं है । ीमत पर चल िजतना याद करगे उतना ऊंच पद पायगे। ीमत पर नह ं चलगे तो ताला ब द हो जायेगा। तीर लगेगा नह ं। खश ु ी का पारा चढ़े गा नह ं। अपनी मत पर चलगे तो बाबा कहगे यह तो रावण मत पर ह। बहुत दे ह-अ भमानी ब चे ह जो मरु ल भी नह ं पढ़ते ह। जो मरु ल ह नह ं पढ़ते वह या ान दगे। अनेक कार क नई-नई वाइं स नकलती रहती ह। दे ह -अ भमानी बनने का पु षाथ करना है । इस परु ानी दे ह को भी छोड़ दे ना है । यह तो मरा हुआ चोला है । ऐसे-ऐसे अपने से बात करते रहना है । कोई क स वस छप नह ं सकती। कोई खामी है तो वह भी छपती नह ं है । माया बड़ी शैतान है । अनेक कार के उ टे काम कराती रहती है । कोई भल ू हो जाए तो फौरन बाप से मा मांगनी चा हए। अ दर बाहर बहुत साफ होना चा हए। बहुत म दे ह-अ भमान बहुत रहता है । बाबा ने समझाया है - कभी कोई से भी स वस नह ं लो। अपने हाथ से भोजन आ द बनाओ। हानी-िज मानी दोन स वस करनी है । बाबा क याद म रह कसको ि ट दगे तो भी बहुत मदद मलेगी। बाबा खद ु वेश कर स वस म बहुत मदद करते ह। वह समझते ह हमने कया, अहं कार झट आ जाता है । यह नह ं समझते क बाबा ने करवाया। बाबा वेश होकर स वस करवा सकते ह, फर तो और ह डबल फोस हो गया। कसको ल ट मल , जाकर ऊंच स वस करने लग पड़े तो खश ु होना चा हए ना। इसम ई या क या बात है ? कभी भी पर चंतन नह ं करना चा हए। यहाँ क बात वहाँ सन ायगे । भल कोई ने कुछ कहा भी फर भी दस ु ु ाकर नक ु सान य करना चा हए। ऐसे तो बहुत झठ ू बात भी बनाते ह ू रे को सन फलानी तो ऐसी है , यह है । ऐसी झठ ू बात कभी नह ं सन ु ना। कोई उ ट -सु ट बात बोले तो सन ु ी अनसन ु ी कर दे ना चा हए। कसके दल को खराब नह ं करना चा हए। अ छा! मीठे -मीठे सक लधे ब च त मात- पता बापदादा का याद- यार और गड ु मा नग। हानी बाप क हानी ब च को नम ते। धारणा के लए मु य सार:1) बाप से अ दर बाहर साफ रहना है । कोई भी भल ू हो जाए तो फौरन मा मांगना है । हानी िज मानी दोन कार क सेवा करनी है । 2) कभी भी ई या के कारण एक दो का पर चंतन नह ं करना है । कोई कसी के त उ ट सु ट बात सन ु ाय तो सन ु ी अनसन ु ी कर दे नी है । वणन करके कसी क दल खराब नह ं करनी है । वरदान:रं ग और प के साथ-साथ स पण ू प व ता क खश ु बू को धारण करने वाले आकषणमत ू भव ा मण बनने से सभी म रं ग भी आ गया है और प भी प रवतन हो गया है ले कन खश ु बू न बरवार है । आकषण मत ू बनने के लए रं ग और प के साथ स पण ू प व ता क खश ु बू चा हए। प व ता अथात ् सफ मचार नह ं ले कन दे ह के लगाव से भी यारा। मन बाप के सवाए और कसी भी कार के लगाव म नह ं जाये। तन से भी मचार , स ब ध म भी मचार और सं कार म भी मचार - ऐसी खश ु बू वाले हानी गल ु ाब ह आकषणमत ू बनते ह। लोगन:-

यथाथ स य को परख लो तो अतीि

य सख ु का अनभ ु व करना सहज हो जायेगा।

murli-2017-09-25.pdf

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